CIBIL Score Rule : आज के समय में सिबिल स्कोर सिर्फ लोन मिलने या ना मिलने का कारण नहीं है, बल्कि यह आपकी आर्थिक साख यानी फाइनेंशियल विश्वसनीयता का प्रमाण बन गया है। नौकरी पाने से लेकर किराए पर घर लेने तक, हर जगह सिबिल स्कोर देखा जाता है। इसी को ध्यान में रखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सिबिल स्कोर से जुड़े 5 नए और जरूरी नियम जारी किए हैं, जिनसे ग्राहकों को बड़ा फायदा मिलेगा।
इन नियमों का उद्देश्य है – पारदर्शिता बढ़ाना, ग्राहकों की सुरक्षा करना और बैंकों को जवाबदेह बनाना। आइए जानते हैं ये 5 बड़े बदलाव:
1. क्रेडिट स्कोर जांच की तुरंत जानकारी
अब जब भी कोई बैंक या फाइनेंशियल संस्था आपका सिबिल स्कोर चेक करेगी, तो आपको तुरंत SMS या ईमेल के ज़रिए इसकी जानकारी दी जाएगी। इससे आपको पता रहेगा कि कौन-कौन आपकी क्रेडिट हिस्ट्री देख रहा है। पहले यह जानकारी ग्राहकों को नहीं मिलती थी, जिससे उनके स्कोर का दुरुपयोग हो सकता था। अब यह नियम निजता की रक्षा करेगा और अनधिकृत जांच को रोकेगा।
2. लोन रिजेक्ट करने पर देना होगा कारण
अगर कोई बैंक या संस्था आपका लोन या क्रेडिट कार्ड आवेदन अस्वीकार करती है, तो अब उन्हें आपको साफ-साफ कारण बताना होगा। इससे आपको समझ आएगा कि क्या कमियां हैं — जैसे कम इनकम, खराब स्कोर या कोई और वजह — ताकि आप उसे सुधार सकें। अब हर संस्था को हर महीने रिजेक्ट किए गए आवेदनों के कारणों की लिस्ट भी बनानी होगी।
3. हर साल मुफ्त में मिलेगी पूरी क्रेडिट रिपोर्ट
अब सभी क्रेडिट सूचना कंपनियां हर ग्राहक को साल में कम से कम एक बार मुफ्त में ऑनलाइन पूरी क्रेडिट रिपोर्ट देंगी। यह रिपोर्ट आपको कंपनी की वेबसाइट पर सीधा लिंक मिलकर मिलेगी, किसी थर्ड पार्टी वेबसाइट पर जाने की जरूरत नहीं होगी। इससे आप अपना स्कोर खुद जांच सकेंगे और अगर कोई गलती है तो समय पर सुधार करवा सकेंगे।
4. डिफॉल्टर घोषित करने से पहले नोटिस जरूरी
अब कोई भी बैंक किसी ग्राहक को सीधा डिफॉल्टर नहीं कह सकता। पहले ग्राहक को नोटिस भेजना जरूरी होगा, जिससे वह अपनी स्थिति सुधार सके। साथ ही हर बैंक को एक नोडल अधिकारी नियुक्त करना होगा जो क्रेडिट स्कोर से जुड़ी शिकायतों को देखेगा। यह नियम ग्राहकों को गलत तरीके से डिफॉल्टर घोषित होने से बचाएगा।
5. गलती सुधारने में देरी पर जुर्माना
अगर किसी ग्राहक के स्कोर में कोई गलती है और उसने शिकायत की है, तो उसे 30 वर्किंग डेज़ (कार्य दिवसों) के अंदर सुधारना अनिवार्य होगा। इसमें बैंक को 21 दिन और क्रेडिट कंपनी को 9 दिन का समय मिलेगा। अगर देरी होती है तो प्रति दिन ₹100 का जुर्माना लगेगा। अब ग्राहक को महीनों तक इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा।
आरबीआई के ये नए नियम भारतीय बैंकिंग और फाइनेंस सिस्टम को और पारदर्शी बना रहे हैं। अब ग्राहक अपने सिबिल स्कोर पर पूरा नियंत्रण रख सकेंगे और बैंकों को भी उनके प्रति ज्यादा जिम्मेदार होना पड़ेगा। यह पहल भारत की क्रेडिट व्यवस्था को और मजबूत बनाएगी।