क्या आप भी बहू हैं? जानिए ससुर की संपत्ति पर आपका कितना हक बनता है – Father in Law Property

By Prerna Gupta

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Father in law property

Father in Law Property : भारतीय समाज में संपत्ति और उत्तराधिकार से जुड़ी बातें अक्सर परिवारों में विवाद का कारण बनती हैं। खासकर तब, जब पति का निधन हो चुका हो और बहू अपने और अपने बच्चों के अधिकार को लेकर असमंजस में हो। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही होता है — क्या बहू को ससुर की संपत्ति में हिस्सा मिल सकता है?

इस सवाल का जवाब सीधा नहीं है, लेकिन भारतीय कानून के अनुसार बहू को कुछ विशेष परिस्थितियों में संपत्ति में हिस्सा मिल सकता है। आइए जानते हैं, कौन-सी संपत्ति पर बहू का हक बनता है और कब वह कानूनी रूप से दावा कर सकती है।

संपत्ति के प्रकार को समझना जरूरी है

ससुर की संपत्ति दो तरह की हो सकती है:

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  1. स्व-अर्जित संपत्ति (Self-Acquired Property): जो ससुर ने अपने मेहनत से कमाई हो, जैसे नौकरी, व्यवसाय या निवेश से।
  2. पैतृक संपत्ति (Ancestral Property): जो उन्हें उनके पिता, दादा से विरासत में मिली हो।

इन दोनों में बहू का अधिकार अलग-अलग तरह से तय होता है।

क्या बहू को ससुर की संपत्ति में सीधा अधिकार है?

उत्तर है – नहीं।

कानूनन बहू को ससुर की संपत्ति में सीधा हक नहीं होता। लेकिन अगर पति की मृत्यु हो चुकी हो और वह संपत्ति का कानूनी उत्तराधिकारी था, तो बहू को उसका हिस्सा मिल सकता है।

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पति की मृत्यु के बाद बहू को कब मिलता है हक?

अगर पति की मृत्यु हो जाती है और ससुर की संपत्ति का बंटवारा नहीं हुआ है, तो:

  • बहू अपने पति के हिस्से की कानूनी उत्तराधिकारी बनती है।
  • यह अधिकार Hindu Succession Act, 1956 के तहत तय होता है।

उदाहरण के लिए, अगर ससुर की संपत्ति ₹1 करोड़ की है और दो बेटे हैं, जिनमें से एक की मृत्यु हो गई, तो उस मृत बेटे के ₹50 लाख हिस्से पर उसकी पत्नी (बहू) और बच्चों को अधिकार मिल सकता है।

Class-I कानूनी वारिस कौन होते हैं?

यदि ससुर की मृत्यु वसीयत के बिना हुई है, तो संपत्ति Class-I वारिसों में बंटती है। इसमें शामिल हैं:

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  • बेटा, बेटी
  • विधवा (पत्नी)
  • बहू (केवल तब, जब पति की मृत्यु हो चुकी हो और वह उसका हिस्सा हो)

क्या बहू को ससुराल में रहने का अधिकार है?

हां। Domestic Violence Act, 2005 के तहत बहू को मेट्रिमोनियल होम यानी ससुराल में रहने का अधिकार है, चाहे घर ससुर की हो। लेकिन यह स्वामित्व का अधिकार नहीं, बल्कि रहने भर का अधिकार है।

कब बहू को संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलता?

  • अगर ससुर की संपत्ति स्व-अर्जित है और उन्होंने वसीयत में किसी और को संपत्ति दी है।
  • अगर बहू का पति जीवित है।
  • अगर पति की मृत्यु माता-पिता के जीवनकाल में हो गई हो और संपत्ति का बंटवारा न हुआ हो।

वसीयत में बहू का क्या रोल होता है?

अगर ससुर ने अपनी वसीयत में बहू का नाम लिखा है, तो वह संपत्ति की हकदार हो सकती है। लेकिन अगर नाम नहीं है, तो उसे केवल अपने पति के हिस्से तक ही हक मिलेगा।

कोर्ट में कब दावा कर सकती है बहू?

  • जब संपत्ति पैतृक हो
  • पति की मृत्यु हो चुकी हो
  • बहू को हिस्सा नहीं मिला हो

इस स्थिति में बहू सिविल कोर्ट में उत्तराधिकार या विभाजन (Partition) का केस फाइल कर सकती है।

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बहू का ससुर की संपत्ति पर सीधा हक नहीं होता, लेकिन पति के हिस्से पर उसका कानूनी अधिकार होता है, अगर पति की मृत्यु हो चुकी हो। साथ ही, ससुराल में रहने का हक भी कानून उसे देता है।

अगर किसी बहू को लगता है कि उसे संपत्ति से वंचित किया गया है, तो उसे उचित कानूनी सलाह लेनी चाहिए और अपने हक की लड़ाई लड़नी चाहिए।

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