क्या बेटी को मिलता है खेती की जमीन में हिस्सा! सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया चौंकाने वाला फैसला – Daughter Rights In Land

By Prerna Gupta

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Daughter rights in land

Daughter Rights In Land : भारत में पैतृक संपत्ति को लेकर हमेशा बहस होती रही है, खासकर जब बेटी अपने हिस्से की मांग करती है। बहुत से लोग अब भी मानते हैं कि शादी के बाद बेटी का मायके की ज़मीन या संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होता। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा और साफ संदेश दिया है—बेटी का हक भी बेटे जितना है, चाहे वह शादीशुदा हो या नहीं।

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक केस में फैसला सुनाते हुए साफ कहा कि अगर संपत्ति पैतृक है, यानी जो संपत्ति पिता को उनके पूर्वजों से मिली थी, तो बेटी को उससे वंचित नहीं किया जा सकता। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 6 के अनुसार, बेटी को भी बेटे की तरह बराबर का हक मिलेगा।

शादी के बाद भी अधिकार कायम

कोर्ट ने कहा कि शादी के बाद भी बेटी का अपने मायके की संपत्ति पर हक बना रहता है। उसे “बाहर की” नहीं माना जा सकता। इसका मतलब ये है कि बेटी चाहे कहीं भी रह रही हो, उसके अधिकार खत्म नहीं होते।

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क्या खेती की जमीन पर भी हक है?

जी हां, कोर्ट ने साफ कहा है कि अगर खेती की जमीन पैतृक संपत्ति है, तो बेटी का उस पर भी हक होगा। यह हक सिर्फ मकान या शहर की प्रॉपर्टी तक सीमित नहीं है। अगर पिता के पास 12 एकड़ खेती की जमीन है और उनके तीन बच्चे हैं—दो बेटे और एक बेटी—तो बेटी को भी बराबर का 1/3 हिस्सा यानी 4 एकड़ जमीन का अधिकार मिलेगा।

क्या भाई की इजाजत जरूरी है?

नहीं। बेटी को अपने हक के लिए भाई की सहमति की जरूरत नहीं है। अगर भाई हिस्सा देने से इनकार करता है, तो बेटी सीधे कोर्ट जा सकती है। कानून उसके पक्ष में है।

अगर नाम खसरे या खतौनी में नहीं है?

अगर बेटी का नाम ज़मीन के रिकॉर्ड्स में नहीं है तो भी वो SDM या तहसील में शिकायत कर सकती है। ज़रूरत पड़ने पर कोर्ट जा सकती है। जरूरी है कि दस्तावेज और जानकारी सही हों।

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क्या बेटी अपनी ज़मीन बेच सकती है?

हां। अगर बेटी को कानूनी रूप से संपत्ति मिल गई है, तो वो उसे बेच सकती है, किराए पर दे सकती है या जो चाहे वो फैसला ले सकती है। वो उस संपत्ति की मालिक है।

अगर पिता ने वसीयत नहीं बनाई हो तो?

ऐसे में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम लागू होगा और बेटी को अपने हिस्से का पूरा हक मिलेगा। वसीयत न होने पर भी बेटी को संपत्ति से बाहर नहीं किया जा सकता।

बेटियों को चाहिए जागरूकता

कई बेटियां जानकारी की कमी या समाज के डर से चुप रह जाती हैं। लेकिन यह समय है अपने हक के लिए खड़े होने का। अगर दस्तावेज सही हैं और कानून की मदद ली जाए, तो बेटी को उसका हिस्सा मिलना तय है।

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नोट: यह लेख सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। किसी भी कानूनी कदम से पहले किसी वकील से सलाह जरूर लें।

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